हनुमान जयंती का महत्व - हनुमान जयंती के पर्व का हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान है और यह पर्व बहुत ही धूम - धाम से मनाया जाता है | इस दिन हनुमान जी के सभी भक्त उपवास भी रखते है | हनुमान जी का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा के दिन हुआ था | हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां अवतार माना जाता है | इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति और सभी मनोकामना पूरी होती है | हनुमान जयंती कैसे मनाये ? इस दिन हनुमान जी का उपवास रखे और ब्रह्मचर्य का पालन करे | हनुमान जी की पूजा करे , इसके साथ हनुमान जी को सिंदूर लगाए, चमेली का तेल या चमेली का पुष्प चढ़ाये , मंदिर में लाल ध्वजा लगाए , इससे हनुमान जी बहुत प्रसन्न होते है | बहुत जगह इस दिन हनुमान जी झाँकी भी निकली जाती है , जिसमे सभी भक्त हनुमान जी की सवारी के आगे नाचते -गाते हुए इस पर्व का आनंद उठाते है | हनुमान जी की झाँकी को फूलो से सजाया जाता है | जहाँ से भी यह झांकी गुजरती है इसका स्वागत किया जाता है | इस दिन भजन - कीर्तन करके भी हनुमान जयंती मनाई जा सकती है |
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी हिन्दुओ के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है | क्योकि इस दिन भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री राम जी ने राजा दशरथ के घर जन्म लिया था | इसलिए इस दिन भगवान श्री राम जी का जन्मोत्सव बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है | आप सभी को भी इस पावन अवसर पर रामनवमी की ढेर सारी बधाईया | रामनवमी का इतिहास राम नवमी का त्यौहार हर साल मार्च - अप्रैल महीने में मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राम नवमी का इतिहास क्या है? राम नवमी का त्यौहार पिछले कई हजार सालों से मनाया जा रहा है। राम नवमी का त्यौहार भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियाँ थीं लेकिन बहुत समय तक कोई भी राजा दशरथ को संतान का सुख नहीं दे पायी थी। जिससे राजा दशरथ बहुत परेशान रहते थे। पुत्र प्राप्ति के लिए राजा दशरथ को ऋषि वशिष्ठ ने कमेष्टि यज्ञ कराने को विचार दिया। इसके पश्चात् राजा दसरथ ने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ कराया। यज्ञ समाप्ति के बाद महर्षि ने दशरथ की तीनों पत्नियों को एक-ए